आज पंद्रह अगस्त है
जो साल भर त्रस्त हैं, आज छुट्टी पाकर मस्त हैं
कमज़ोर होती पुलिस के तगड़े बंदोबस्त हैं
आज पंद्रह अगस्त है
सिद्धांतों की बदहजमी है
नारों के दस्त हैं
कहीं गिरते कहीं गुमसुम झुके
तिरंगे हो रहे पस्त हैं
आज पंद्रह अगस्त है
जवान रगों में जागा
जोश ज़बरदस्त है
शाम के शो के लिए
सुबह से लग रही गश्त है
आज पंद्रह अगस्त है
यादों के मलबे तले
सोच दबी है व्यस्त है
दो लड्डू दो गान का पाठ
हो रहा कंठस्त है
आज पंद्रह अगस्त है
टीवी पे चलती पैरोडी से
परेड की अब शिकस्त है
तिरंगा बटर पनीर बेचती
जनता मौकापरस्त है
आज पंद्रह अगस्त है
आज पंद्रह अगस्त है
आज पंद्रह अगस्त है
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