मैने मन्नतें माँगी थी
मिन्नते की थी
तुमने वादा किया था
तुम आने वाली थी
तुम आने वाली थी तो मैं चुपके से एक बड़ी अलमारी भी पसंद कर आया था
और एक छोटा सा पलंग कि तुम कभी दूर ना रहो
तुम आने वाली थी और हम देसी थर्रा आज़माने का हमारा वादा पूरा करते
पीना छोड़ने पर भी मैं पीता की तुम मुझे बोर ना कहो
तुम आने वाली थी और हम मीडीया के हाथो खिंची 'लिव इन' की लकीरों में रंग भरते
और बस यूँ ही रहते रहते तुम रह ही जाती
तुम आने वाली थी और मैं दरवाज़े पे बैठ तुम्हारी राह देखने का अभ्यास अभी से ही करने लगा था
तुम ऑफीस वाली जो ठहरी, जाने रोज़ कितनी देर लगाती
तुम आने वाली थी पर जनवरी का महीना आ गया
सर्दी आ गयी चली भी गयी
मुझे बुखार भी आया तीन बार
पैसे आए उनका क्या करूँ
पर तुम तुम नही आई
तुम आती तो काटने को दौड़ती दीवारों से शायद फिर याराना हो जाता
तुम आती तो तुम्हारे मंगलवार के बहाने शायद फिर कभी मंदिरों में आना जाना हो जाता
तुम आती तो फिर स्याही पिघल कल्पना के आकार लेती
तुम आती तो फिर दिनचर्या मुझे ज़िंदगी सी दिखाई देती
तुम आती तो फिर बात ही क्या रह जाती
पर तुम तुम नही आई
आया एक फरमान की तुम ना आओगी
तुम्हारा वो एहसान की तुम ना आओगी
साल बाद कहा तो यह कहा
सुन पाए क्यूँ मेरे कान की तुम ना आओगी
तुम ना आई तो मेरे सब बदलाव फिर बदल गये
तुम ना आई तो कुछ साल ज़िंदगी के और फिसल गये
तुम ना आई तो तुम्हारे पापा भी अब ठीक लगते हैं
तुम ना आई तो मन के वेहम अब सटीक लगते हैं
तुम ना आई हो ना आओगी
कब तक मेरी ज़िंदगी से दौड़ लगाओगि
खैर मैं तो भावुक हूँ
मेरी बात दिल पे ना लेना
पर जीना इस बात के साथ
कभी भुला भी ना देना
की तुम आने वाली थी
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