मैं अकेला दिल विराना
और हरामी सारा ज़माना
और टूटे भी अब दिल कितना
टुकड़ों का अब क्या चूरन बनाना
ये गया वो गया
चला गया हर कोई
निर्दोष यह आँखें मेरी
न रोई न सोयी
दोष किसका न समझा में अब तक
तोह खोट खुद में ही ढूंढता फिरा
कुछ तो बात होगी जो में
हर पगडण्डी पे चलता गिरा
क्या तू सही है
क्या मैं सही हूँ
क्या सब वाही है
क्या मैं वाही हूँ
खैर तू जो गया है
तो मैं खुद को देख पाया हूँ
तो में दुनिया से
व्योम में अब आया हूँ
दिल अब आराम से ज़रा
इस दुनिया में चलना-चलाना
मैं अकेला दिल विराना
और हरामी सारा ज़माना
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